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निर्णायक मोड़ / हंस आइषहॉर्न
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06:55, 6 मार्च 2018
लिखने और चीखने की, बहुत हुआ निर्णायक मोड़।
(मूल जर्मन कविता "Endlich die Krähe..." का
अनुवाद:
अनुवाद—
'''अमृत मेहता''')</poem>
Sumitkumar
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