गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
चांद-तारे / कुमार मुकुल
12 bytes added
,
18:46, 29 जून 2008
}}
कांसे
काँसे
के
हसिए
हँसिए
सा
पहली का चांद जब
और तारा
तेजी
तेज़ी
से दूर भागता
सिमटता जाता है
खुद
ख़ुद
में
आकाश में और भी तारे हैं
जो जलते नहीं टिमटिमाते हैं
पर वे चांद को
जरा
ज़रा
नहीं लगाते हैं
निर्लज्ज चांद
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,062
edits