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कतय हेरायल गाम यै / रूपम झा

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बिनु बाजल खिड़की सँकतय हेरायल गाम सखि मोरखिल रौद आबै अछिछुबि-छुबि देह गातगुदगुदी लगाबै अछि- - - - - - - - -कतय हेरायल गाम यै।।
संगसुति-संग पवन मंदउठि जतए सुनी परातीभरलक सुरभित सुगंधजतय युवा छल बूढ़क लाठीनहि जनय बंद-बंधचारू दिश हम ताकि रहल छी,फुसुर-फुसुर कान मेताकय छी वैह धाम यै।मधुर गीत गाबै अछि- - - - - - - -कतय हेरायल गाम सखि मोर
गाछ-गाछ मंजर अछिप्रीतक धार बहै छल पहिनेदृश्य कतेक सुन्दर अछिनेहक बात कहै छल पहिनेचिडै अछि छोटभय-छोटखूब पैघ अम्बर अछिदाना चूनैक लेल, आँगन भाय मे आबै छैतेना रहै छलजहिना लक्षमन- - - - - - - - - -- - - राम यै।कतय हेरायल गाम सखि मोर
एतय ओतय जीवन अछिसंग-साथ परिवार रहै छलसाँस अछि धड़कन अछिसुख दुख सभ मिलि संग सहै छलई धरती मधुबन अछिजतय सासु नवकी कनियाँ केर,अय धरती पर प्राणीराखय छलि उपनाम यै।कतय हेरायल गाम सखि मोर संग-साथ परिवार रहै छलस्वरगक सुख पाबै अछि।दुख सभ मिलि संग सहै छलजतय सासु नवकी कनियाँ केर,राखय छलि उपनाम यै।कतय हेरायल गाम सखि मोर ताकय छी ओ कोयली के स्वरप्रीत भरल ओ संग-साथ घरवैह समाज हम फेर तकै छी,ताकै छी अहिठाम यैकतय हेरायल गाम सखि मोर
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