"यकुलाँस / विजय गौड़" के अवतरणों में अंतर
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16:47, 11 मार्च 2018 के समय का अवतरण
रुप्या त भण्डि कमै द्येलु,
पण वु निवारू कु चखुल्या घोल सि खटला कख्वै ल्येलु?
कख्वै ल्येलु वा निफटण्या निंद?
ज्वा सरसु-उप्पन बि नि खर्र्ये सकदा छा।
कख्वै ल्येलु वु बाटा का द्वी तरफ लग्युं झुंगरयडु?
जैमा द्वी फौंटा बाँधि कि पैथर बटि आण वला कि फरकण्डी करांदा छाया।
अर तुम द्वी चार उटकम्या,
भ्युंला डाला पैथर बटि गिणती गिणदा छाया……………
एक, द्वी, तीन…
अर फिर वु परवचन,
कनि रांड व्है रै यूँ छ्वारों कि.……
रुप्या त भण्डि कमै द्येलु
पण बचपनै वा छवकरल्या हैंसि कख्वै ल्येलु?
कख्वै ल्येलु वु सुबेर सुबेर मास्टर जि कु नौला चुण्डणु?
कख्वै ल्येलु वु टीवी मा हीरो का बाल देखि कि
राति मा मुंड फर वु गिल्लु रुमाल बंधणु?
कख्वै ल्येलु वु स्याला ब्यो वलु घाम?
कख्वै ल्येलु वा बवणी, लुण्ठ्या वु चाम?
रुप्या त भण्डि कमै द्येलु,
पण अपड़ु वु खुदौण्या मुलुक कख्वै ल्येलु?
जरूर हिटलि तु यूँ सिमेंटैट रोडों माँ,
पण वु गुच्छि का खडवलोँ वलु बाटु कख्वै ल्येलु?
कख्वै ल्येलु वु धंण्या मा कु लूँण,
अर छ्वैऱयूँ का बस्ता बिटि च्वरीं कखड़ि?
कख्वै ल्येलु पंडजी कु दीन बंदौ बली राजा वलु पौंजा,
अर भैणि कि लाड़ै रखड़ि?
वा रे रुप्या, क्य-क्य नि छुडै तिन,
ब्वै-बाब, भै-भैणा, मुलुक, अपड़ा, अपड्यांस,
निहोंण्या, सबि त ली ग्ये तू,
मैमु रै ग्ये त बस
यु युकुलु मन,
अर या म्येरि लाट यकुलांस,
या म्येरि लाट यकुलाँस!