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"मुझे प्रतीक्षा है / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर
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+ | प्यासे तन-मन, कण-कण को; | ||
+ | किन्तु इन्हें द्रवित करने को | ||
+ | चाहिए- निश्छल भगीरथ-प्रयास | ||
+ | शंकर सा अडिग, अदम्य साहस, | ||
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+ | शिरोधार्य कर सके हँसते हुए। | ||
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+ | जो पिघला सके पाषाण- हृदय | ||
+ | और जलधारा में रूपांतरित | ||
+ | मेरे चिर-प्रवाह को सँभाले- सँवारे। | ||
+ | वचनबद्ध हूँ- तृप्ति हेतु ; किन्तु | ||
+ | '''तुम भगीरथ-शिव बनने का | ||
+ | वचन दे सकोगे क्या प्रिय ?''' | ||
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11:59, 28 मार्च 2018 के समय का अवतरण
मैं पाषाण-हृदय हूँ;
ऐसा मुझे मत बोलो प्रिय
पत्थरों से ही फूटती हैं धाराएँ
पहाड़ियों का सीना चीर कर
उन्मुक्त होकर तृप्त करती हैं
प्यासे तन-मन, कण-कण को;
किन्तु इन्हें द्रवित करने को
चाहिए- निश्छल भगीरथ-प्रयास
शंकर सा अडिग, अदम्य साहस,
जो पवित्र उफनती धाराओं को
शिरोधार्य कर सके हँसते हुए।
मैं चाहती हूँ द्रवित होना;
किन्तु मुझे प्रतीक्षा है-
निश्छल भगीरथ-शंकर की
जो पिघला सके पाषाण- हृदय
और जलधारा में रूपांतरित
मेरे चिर-प्रवाह को सँभाले- सँवारे।
वचनबद्ध हूँ- तृप्ति हेतु ; किन्तु
तुम भगीरथ-शिव बनने का
वचन दे सकोगे क्या प्रिय ?
-0-