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"दिन जल्दी जल्दी ढलता है / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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मुझसे मिलने को कौन विकल?
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यह प्रश्‍न शिथिल करता पद को, भरता उर में विह्वलता है!
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दिन जल्‍दी-जल्‍दी ढलता है!

22:55, 8 जुलाई 2008 का अवतरण


दिन जल्‍दी-जल्‍दी ढलता है!


हो जाए न पथ में रात कहीं,

मंजिल भी तो है दूर नहीं-

यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्‍दी-जल्‍दी चलता है!

दिन जल्‍दी-जल्‍दी ढलता है!


बच्‍चे प्रत्‍याशा में होंगे,

नीड़ों से झाँक रहे होंगे--

यह ध्‍यान परों में चिड़‍ियों के भरता कितनी चंचलता है!

दिन जल्‍दी-जल्‍दी ढलता है!


मुझसे मिलने को कौन विकल?

मैं होऊँ किसके हित चंचल?--

यह प्रश्‍न शिथिल करता पद को, भरता उर में विह्वलता है!

दिन जल्‍दी-जल्‍दी ढलता है!