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"आगे चल कर / कुमार रवींद्र" के अवतरणों में अंतर
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इसी गली में | इसी गली में | ||
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सिद्धनाथ मंदिर है, भाई | सिद्धनाथ मंदिर है, भाई | ||
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पहले यहाँ नहीं थी | पहले यहाँ नहीं थी | ||
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ये सारी दूकानें | ये सारी दूकानें | ||
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सीधे इसी सडक से, मानें | सीधे इसी सडक से, मानें | ||
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अम्मा ने | अम्मा ने | ||
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इस मंदिर में ही | इस मंदिर में ही | ||
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पिथरी थी हर साल चढाई | पिथरी थी हर साल चढाई | ||
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जोत आरती की दिपती थी | जोत आरती की दिपती थी | ||
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घर से ही | घर से ही | ||
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हमको देती थी | हमको देती थी | ||
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बमभोले की टेर सुनाई | बमभोले की टेर सुनाई | ||
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गार्गी पहलवान का हाता | गार्गी पहलवान का हाता | ||
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अब अपने | अब अपने | ||
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छज्जे से, भाई | छज्जे से, भाई | ||
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कुछ भी देता नहीं दिखाई। | कुछ भी देता नहीं दिखाई। | ||
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11:54, 2 जुलाई 2010 का अवतरण
आगे चल कर इसी गली में सिद्धनाथ मंदिर है, भाई
पहले यहाँ नहीं थी ये सारी दूकानें दिखती थी मंदिर की चोटी सीधे इसी सडक से, मानें
अम्मा ने इस मंदिर में ही पिथरी थी हर साल चढाई
जोत आरती की दिपती थी सडक-पार तक हाथ जोडते थे उसको तब इक्के पर जाते सवार भी
घर से ही हमको देती थी बमभोले की टेर सुनाई
हम छोटे थे मंदिर से था सीधा नाता मंदिर के पीछे थे चौकी - गार्गी पहलवान का हाता
अब अपने छज्जे से, भाई कुछ भी देता नहीं दिखाई। </poem>