भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मिली / साहिल परमार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
}}
 
}}
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
 +
{{KKCatDalitRachna}}
 
<poem>
 
<poem>
 
नूह् की कश्ती की तरह ज़िन्दगी मिली
 
नूह् की कश्ती की तरह ज़िन्दगी मिली

15:29, 21 मई 2018 के समय का अवतरण

नूह् की कश्ती की तरह ज़िन्दगी मिली
जब से सनम मुझे तुम्हारी बन्दगी मिली

राम ने जो खटखटाए हर नगर के द्वार
थरथराती मौत से हैरानगी मिली

घूमता कर्फ़्यू मिला है भद्र शहर में
हालात में भद्दी पूरी शर्मिन्दगी मिली

संसद में घुसा शेर भूखा, निकला बोल के
नेता के रूप में ये साली गन्दगी मिली

मानिन्द मूसा की तुम्हें चलाता रहूँगा
देखने की दूर तलक दीवानगी मिली

मूल गुजराती से अनुवाद : स्वयं साहिल परमार