"मन की बात / राहुल कुमार 'देवव्रत'" के अवतरणों में अंतर
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− | + | कदमों की आहट है मादक | |
− | + | मादक है पायल की छम छम | |
− | + | है लोच भरी बंकिम दृष्टि | |
− | + | बातें भी तेरी भावप्रवण | |
− | + | तुम हो प्रिय सभी प्रिय सुभगे | |
− | + | अभिलाषा है स्वच्छंद मिलन | |
− | + | निष्कपट प्रेम आतुर प्रेमी | |
− | + | तुझको देता है आमंत्रण | |
− | + | ऐसा सुनता जब तुम आते | |
− | + | हो जाते हैं पट सतरंगी | |
− | + | उठती है सिहरन सी मन में | |
− | + | हो जाता है मुख सिंदूरी | |
− | + | लो देखो तेरी आहट पा | |
− | + | क्या हवा चली है सनन सनन | |
− | + | स्वीकार करो तुम आमंत्रण | |
− | + | मेरे प्रदेश में तब आना | |
− | + | जब हो न कहीं पर हरियाली | |
− | + | जब होंगे कोयल भी गायब | |
− | + | होगी सूखी पत्ती डाली | |
− | + | तब तुम आना री तन्वंगी | |
− | + | री कोमलमन री श्याम वदन | |
− | + | है तुम्हें अभी से आमंत्रण | |
− | + | ऐसा सुनता दुख की घड़ियां | |
− | + | जब जब आती है जीवन में | |
− | + | क्रूर कुटिल मतलबपरस्त | |
− | + | तब आग लगाते हैं मन में | |
− | + | ऐसे कुसमय में स्वयं स्वतः | |
− | + | तुम आना ले चंचल चितवन | |
− | + | मिले ना मिले आमंत्रण | |
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18:41, 12 मई 2018 का अवतरण
कदमों की आहट है मादक
मादक है पायल की छम छम
है लोच भरी बंकिम दृष्टि
बातें भी तेरी भावप्रवण
तुम हो प्रिय सभी प्रिय सुभगे
अभिलाषा है स्वच्छंद मिलन
निष्कपट प्रेम आतुर प्रेमी
तुझको देता है आमंत्रण
ऐसा सुनता जब तुम आते
हो जाते हैं पट सतरंगी
उठती है सिहरन सी मन में
हो जाता है मुख सिंदूरी
लो देखो तेरी आहट पा
क्या हवा चली है सनन सनन
स्वीकार करो तुम आमंत्रण
मेरे प्रदेश में तब आना
जब हो न कहीं पर हरियाली
जब होंगे कोयल भी गायब
होगी सूखी पत्ती डाली
तब तुम आना री तन्वंगी
री कोमलमन री श्याम वदन
है तुम्हें अभी से आमंत्रण
ऐसा सुनता दुख की घड़ियां
जब जब आती है जीवन में
क्रूर कुटिल मतलबपरस्त
तब आग लगाते हैं मन में
ऐसे कुसमय में स्वयं स्वतः
तुम आना ले चंचल चितवन
मिले ना मिले आमंत्रण