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मेघकाल में / महेन्द्र भटनागर
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06:40, 14 जुलाई 2008
:::दामिनी की चमक क्षण में,
:
जब प्रकृति का रूप ऐसा हो गए ये दूर-न्यारे !
:::शीत में, पर, मौन गलता,
:
हट
गये
गए
ये उस जगह से, हो गए बिलकुल किनारे !
अनिल जनविजय
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