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"दरियादिली / अजित कुमार" के अवतरणों में अंतर

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अपने घर में जो बाबूजी  
 
अपने घर में जो बाबूजी  
 
 
रद्दी काग़ज़  की चिर्री–पुर्जी भी  
 
रद्दी काग़ज़  की चिर्री–पुर्जी भी  
 
 
सहेज के रखते थे–
 
सहेज के रखते थे–
 
 
इस्तरी के लिए गए कपड़ों  
 
इस्तरी के लिए गए कपड़ों  
 
 
या दूधवाले का हिसाब दर्ज़ करने के लिए…
 
या दूधवाले का हिसाब दर्ज़ करने के लिए…
 
  
 
वे अस्पताल में दाखिल क्या हुए
 
वे अस्पताल में दाखिल क्या हुए
 
 
कि टिशू पेपर के  रोल पर रोल  
 
कि टिशू पेपर के  रोल पर रोल  
 
 
नाक-थूक-छींक-लार पोंछने के बहाने  
 
नाक-थूक-छींक-लार पोंछने के बहाने  
 
 
कूडे़ की टोकरी में बहाते चले गए।
 
कूडे़ की टोकरी में बहाते चले गए।
 
 
वहाँ अपने ठहरने की भरपूर क़ीमत
 
वहाँ अपने ठहरने की भरपूर क़ीमत
 
 
उन्हें वसूल करनी थी।
 
उन्हें वसूल करनी थी।
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11:41, 1 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

अपने घर में जो बाबूजी
रद्दी काग़ज़ की चिर्री–पुर्जी भी
सहेज के रखते थे–
इस्तरी के लिए गए कपड़ों
या दूधवाले का हिसाब दर्ज़ करने के लिए…

वे अस्पताल में दाखिल क्या हुए
कि टिशू पेपर के रोल पर रोल
नाक-थूक-छींक-लार पोंछने के बहाने
कूडे़ की टोकरी में बहाते चले गए।
वहाँ अपने ठहरने की भरपूर क़ीमत
उन्हें वसूल करनी थी।