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"और ही राग / अजित कुमार" के अवतरणों में अंतर

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टेबिल टाप पर तुम्हारी उँगलियाँ  
 
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पड़ी हुई थीं निर्जीव
 
पड़ी हुई थीं निर्जीव
 
 
और मैं प्रतीक्षा में थी  दम साधे
 
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कि अब वे हरकत करेंगी-
 
कि अब वे हरकत करेंगी-
 
  
 
धिनक धिनक धिन्... धिनक धिन्...
 
धिनक धिनक धिन्... धिनक धिन्...
 
 
रच दोगे तुम एक अनोखा संगीत  
 
रच दोगे तुम एक अनोखा संगीत  
 
 
जिसकी लय पर मैं थिरकने लगूंगी
 
जिसकी लय पर मैं थिरकने लगूंगी
 
 
धिनक धिनक्... धिन्... ता...
 
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पर वे थीं कि हिले-डुले बिना  
 
पर वे थीं कि हिले-डुले बिना  
 
 
वैसी ही थमी रहीं उसी जगह अचल
 
वैसी ही थमी रहीं उसी जगह अचल
 
 
गहरे मौन का या निष्प्रभ जीवन का
 
गहरे मौन का या निष्प्रभ जीवन का
 
 
एक और ही राग अलापती हुईं
 
एक और ही राग अलापती हुईं
 
 
जिसमें डूबती–डूबती मैं जा पहुँची अतल में ।
 
जिसमें डूबती–डूबती मैं जा पहुँची अतल में ।
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11:37, 1 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

टेबिल टाप पर तुम्हारी उँगलियाँ
पड़ी हुई थीं निर्जीव
और मैं प्रतीक्षा में थी दम साधे
कि अब वे हरकत करेंगी-

धिनक धिनक धिन्... धिनक धिन्...
रच दोगे तुम एक अनोखा संगीत
जिसकी लय पर मैं थिरकने लगूंगी
धिनक धिनक्... धिन्... ता...

पर वे थीं कि हिले-डुले बिना
वैसी ही थमी रहीं उसी जगह अचल
गहरे मौन का या निष्प्रभ जीवन का
एक और ही राग अलापती हुईं
जिसमें डूबती–डूबती मैं जा पहुँची अतल में ।