भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"याद-परिंदे / भावना कुँअर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= भावना कुँअर }} Category:चोका <poem> </poem>' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
| पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
<poem> | <poem> | ||
| − | + | कहाँ से आए | |
| − | + | ये उड़ते-उड़ाते | |
| − | + | याद- परिंदे | |
| + | हम कैसे बताएँ । | ||
| + | भीगी पलकें | ||
| + | उदासियों का चोला | ||
| + | पहने बैठीं | ||
| + | चुपके से आकर | ||
| + | देखो तो ज़रा | ||
| + | हवाओं के ये झोंके | ||
| + | आँखों से कैसे | ||
| + | यूँ मोती चुराकर | ||
| + | आसमान सजाएँ। | ||
</poem> | </poem> | ||
04:01, 11 जुलाई 2018 के समय का अवतरण
कहाँ से आए
ये उड़ते-उड़ाते
याद- परिंदे
हम कैसे बताएँ ।
भीगी पलकें
उदासियों का चोला
पहने बैठीं
चुपके से आकर
देखो तो ज़रा
हवाओं के ये झोंके
आँखों से कैसे
यूँ मोती चुराकर
आसमान सजाएँ।
