भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"फागुनवाँ बीतल जाय / मनोज कुमार ‘राही’" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनोज कुमार ‘राही’ |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | |रचनाकार=मनोज कुमार | + | |रचनाकार=मनोज कुमार 'राही' |
|अनुवादक= | |अनुवादक= | ||
|संग्रह= | |संग्रह= |
01:05, 21 जुलाई 2018 के समय का अवतरण
पिया घर लौटी केॅ आवोॅ,
फागुनवाँ बीतल जाय
फागुन के रतिया हो सुहावनी,
तोहरे बिन हाय सेजिया मोरी सुनी,
आँखिया नीर बहायेॅ
फागुनवाँ बीतल जाय
पिया घर
पीयूपीयू बोलै नित पपिहवा,
रहीरही हुलसै मोर जियरवा,
सपनवाँ नित रूलाय,
फागुनवाँ बीतल जाय
पिया घर
भोर बहे जब शीतल वसंती,
ओकरा पेॅ कुहकै बेटी, रही कोयलिया
हियरा में अगिया लगाय,
फागुनवाँ बीतल जाय
छोड़ी पिया आवोॅ विद्ेशबा,
नयनवाँ नित बहाबै कजरवा,
आश के दीप जराय,
फागुनवाँ बीतल जाय
पिया घर
तोहरा से मिलन के छटपट जियरा,
बरसों बीतलै देखलोॅ नै तोहें,
फागुन के किरिया तोहरा पियाजी,
मधुर मिलन हो जाय
फागुनवाँ बीतल जाय
पिया घर