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कितना अकेला आज मैं / हरिवंशराय बच्चन
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13:58, 26 सितम्बर 2009
संघर्ष में टूटा हुआ,
दुर्भग्य
दुर्भाग्य
से लूटा हुआ,
परिवार से छूटा हुआ, कितना अकेला आज मैं!
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