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"रुक गई बहती नदी / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | झटपट नहाकर | ||
+ | वो रसोई में घुसी | ||
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+ | चाय पीकर | ||
+ | सूर्य बाबा ने कहा | ||
+ | जीती रहो | ||
+ | खाईयाँ | ||
+ | दो पीढ़ियों के बीच की | ||
+ | सीती रहो | ||
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+ | मुस्कुरा चंचल नदी | ||
+ | सबको जगाने चल पड़ी | ||
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10:05, 21 जनवरी 2019 के समय का अवतरण
काम सारे ख़त्म करके
रुक गई बहती नदी
ओढ़ कर
कुहरे की चादर
देर तक सोती रही
सूर्य बाबा
उठ सवेरे
हाथ-मुँह धो आ गये
जो दिखा उनको
उसी से
चाय माँगे जा रहे
धूप कमरे में घुसी तो
हड़बड़ाकर उठ गई
गर्म होते सूर्य बाबा ने
कहा कुछ धूप से
धूप तो सब जानती थी
गुदगुदा आई उसे
उठ गई
झटपट नहाकर
वो रसोई में घुसी
चाय पीकर
सूर्य बाबा ने कहा
जीती रहो
खाईयाँ
दो पीढ़ियों के बीच की
सीती रहो
मुस्कुरा चंचल नदी
सबको जगाने चल पड़ी