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"यादें और भूलना / अरुणा राय" के अवतरणों में अंतर

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फिर कुछ सुना.......... <br>
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गहरी नींद थी <br>
 
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स्‍वप्‍नहीन<br>
 
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सुबह जगी <br>
 
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किताबें पढीं............. <br>
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नहीं<br>
 
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अब यादें शेष नहीं<br>
 
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वाह - जादू हो गया आज<br>
 
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फिर बैठ गयी कुर्सी पर<br>
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तभी दूर आकाश में <br>
 
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यूकेलिप्‍टस हिले<br>
 
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कि जाने कहां से फिर<br>  
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कि जाने कहाँ से फिर<br>  
छाने लगी धूंध<br>
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छाने लगी धुंध<br>
और छाती चली गयी... <br>
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और छाती चली गई... <br>

23:18, 30 जुलाई 2008 का अवतरण

कुछ बूंदें टपका...
हल्‍की हो गई...
कि
कुछ हुआ ही ना हो...
फिर कुछ सुना...
फिर याद किया किसी को...
पर नहीं आए आँसू
फिर
गुज़र गई रात भी
गहरी नींद थी
स्‍वप्‍नहीन
सुबह जगी
तरोताज़ा
क़िताबें पढ़ीं.............
नहीं
अब यादें शेष नहीं
वाह - जादू हो गया आज
मुक्‍त हो गई वह तो...........

फिर बैठ गई कुर्सी पर
तभी दूर आकाश में
यूकेलिप्‍टस हिले
कि जाने कहाँ से फिर
छाने लगी धुंध
और छाती चली गई...