"दिल के बात / उमेश बहादुरपुरी" के अवतरणों में अंतर
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− | जिनगी के पलना से बँधल सुख-दुख के डोरी | + | जिनगी के पलना से बँधल सुख-दुख के डोरी हे |
− | परदा के पाछु बइठल कोय साँवर गोरी | + | परदा के पाछु बइठल कोय साँवर गोरी हे |
− | कभिओ जगावे हमरा ई कभिओ सुलाबे | + | कभिओ जगावे हमरा ई कभिओ सुलाबे हे |
− | कभिओ हँसाबे हमरा कभिओ रूलाबे | + | कभिओ हँसाबे हमरा कभिओ रूलाबे हे |
− | समझ न आबे हमर ई कौन ठिठोरी हे? परदा .... | + | समझ न आबे हमर ई कौन ठिठोरी हे? |
− | बिना इजाजत के आबे हे बिना इजाजत | + | परदा .... |
− | कखने ओक्कर मन में की हे कोय कैसे के | + | बिना इजाजत के आबे हे बिना इजाजत जाहे |
− | चाँद कहूँ हम एकरा ई हमर चकोरी | + | कखने ओक्कर मन में की हे कोय कैसे के थाहे |
− | + | चाँद कहूँ हम एकरा ई हमर चकोरी हे | |
− | + | परदा .... | |
− | पल-भर में ले उड़ऽ हे सबकुछ ई कइसन चोरी | + | नञ् देखलाबे सूरत नञ् देखलाबे मूरत |
− | कहाँ हे एक्कर ठौर-ठिकाना कहाँ हे | + | नञ् देखे दिन-रात नञ् देखे कोय मुहूरत |
− | हमरा तो लागे हे सबदिन ई राही हे | + | पल-भर में ले उड़ऽ हे सबकुछ ई कइसन चोरी हे |
− | जे टकराए एकरा से ओक्कर बलजोरी | + | परदा .... |
− | कोय समझ हे | + | कहाँ हे एक्कर ठौर-ठिकाना कहाँ हे आबोदाना |
− | कोय समझ | + | हमरा तो लागे हे सबदिन ई राही हे अंजाना |
− | जे डर जाहे एकरा से ओक्कर कमजोरी | + | जे टकराए एकरा से ओक्कर बलजोरी हे |
+ | परदा .... | ||
+ | कोय समझ हे नञ् पइलक ई राज भला की हे? | ||
+ | कोय समझ नञ् पइलक ई मौत बला की हे? | ||
+ | जे डर जाहे एकरा से ओक्कर कमजोरी हे | ||
+ | परदा .... | ||
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14:11, 13 मार्च 2019 के समय का अवतरण
जिनगी के पलना से बँधल सुख-दुख के डोरी हे
परदा के पाछु बइठल कोय साँवर गोरी हे
कभिओ जगावे हमरा ई कभिओ सुलाबे हे
कभिओ हँसाबे हमरा कभिओ रूलाबे हे
समझ न आबे हमर ई कौन ठिठोरी हे?
परदा ....
बिना इजाजत के आबे हे बिना इजाजत जाहे
कखने ओक्कर मन में की हे कोय कैसे के थाहे
चाँद कहूँ हम एकरा ई हमर चकोरी हे
परदा ....
नञ् देखलाबे सूरत नञ् देखलाबे मूरत
नञ् देखे दिन-रात नञ् देखे कोय मुहूरत
पल-भर में ले उड़ऽ हे सबकुछ ई कइसन चोरी हे
परदा ....
कहाँ हे एक्कर ठौर-ठिकाना कहाँ हे आबोदाना
हमरा तो लागे हे सबदिन ई राही हे अंजाना
जे टकराए एकरा से ओक्कर बलजोरी हे
परदा ....
कोय समझ हे नञ् पइलक ई राज भला की हे?
कोय समझ नञ् पइलक ई मौत बला की हे?
जे डर जाहे एकरा से ओक्कर कमजोरी हे
परदा ....