"तूँ हमर उपहास करऽ हऽ / उमेश बहादुरपुरी" के अवतरणों में अंतर
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− | तूँ हमर उपहास करऽ हऽ हम इतिहास बनाबऽ | + | तूँ हमर उपहास करऽ हऽ हम इतिहास बनाबऽ ही |
− | समझऽ हथ सब घर में मूरख बाहर खास कहाबऽ | + | समझऽ हथ सब घर में मूरख बाहर खास कहाबऽ ही |
− | सोंच-समझ हमरा जइसन | + | सोंच-समझ हमरा जइसन नञ् हमरा जेतना जोश हो |
− | हऽ तूँ केतना पानी में | + | हऽ तूँ केतना पानी में नञ् तोहरा के होश हो |
− | समझल करऽ तूँ खुद के बुधगर हम अजनास कहबऽ | + | समझल करऽ तूँ खुद के बुधगर हम अजनास कहबऽ ही |
− | मोघ अगर पइमाना हे तनि हमरो मोछ | + | मोघ अगर पइमाना हे तनि हमरो मोछ निहारऽ |
− | जेतना लम्हर सौर हे बाबू ओतने गोड़ | + | जेतना लम्हर सौर हे बाबू ओतने गोड़ पसारऽ |
− | तूँ की हऽ ई तूँ ही जानऽ हम सबद-संतराश | + | तूँ की हऽ ई तूँ ही जानऽ हम सबद-संतराश कहाबऽ |
− | तोहर हाँथ में लाठी-पइना हम्मर नाता स्याही | + | तोहर हाँथ में लाठी-पइना हम्मर नाता स्याही से |
− | हाँथ हमेशा मलते रहबा | + | हाँथ हमेशा मलते रहबा नञ् टकराबऽ कलम सिपाही से |
तूँ बड़-बड़ डिगरी लेले घूरऽ हम अव्वल क्लास कहाबऽ हीं | तूँ बड़-बड़ डिगरी लेले घूरऽ हम अव्वल क्लास कहाबऽ हीं | ||
− | चलल करऽ मत एैठ-एैठ देखऽ हमरो कमर में | + | चलल करऽ मत एैठ-एैठ देखऽ हमरो कमर में लोचहे |
− | धुरतइ में तूँ माहिर हऽ पर हम्मर बढ़ियाँ सोंच | + | धुरतइ में तूँ माहिर हऽ पर हम्मर बढ़ियाँ सोंच हे |
− | सारस्वत के किरपा भेल सरस्वती के दास कहावऽ | + | सारस्वत के किरपा भेल सरस्वती के दास कहावऽ ही |
− | कोयी हमरा कवि कहऽ हे कोयी कहऽ हे | + | कोयी हमरा कवि कहऽ हे कोयी कहऽ हे नायक |
− | चाहे कोय भी नाम हमर दऽ हम अविनाश कहाबऽ | + | चाहे कोय भी नाम हमर दऽ हम अविनाश कहाबऽ ही |
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14:34, 13 मार्च 2019 के समय का अवतरण
तूँ हमर उपहास करऽ हऽ हम इतिहास बनाबऽ ही
समझऽ हथ सब घर में मूरख बाहर खास कहाबऽ ही
सोंच-समझ हमरा जइसन नञ् हमरा जेतना जोश हो
हऽ तूँ केतना पानी में नञ् तोहरा के होश हो
समझल करऽ तूँ खुद के बुधगर हम अजनास कहबऽ ही
मोघ अगर पइमाना हे तनि हमरो मोछ निहारऽ
जेतना लम्हर सौर हे बाबू ओतने गोड़ पसारऽ
तूँ की हऽ ई तूँ ही जानऽ हम सबद-संतराश कहाबऽ
तोहर हाँथ में लाठी-पइना हम्मर नाता स्याही से
हाँथ हमेशा मलते रहबा नञ् टकराबऽ कलम सिपाही से
तूँ बड़-बड़ डिगरी लेले घूरऽ हम अव्वल क्लास कहाबऽ हीं
चलल करऽ मत एैठ-एैठ देखऽ हमरो कमर में लोचहे
धुरतइ में तूँ माहिर हऽ पर हम्मर बढ़ियाँ सोंच हे
सारस्वत के किरपा भेल सरस्वती के दास कहावऽ ही
कोयी हमरा कवि कहऽ हे कोयी कहऽ हे नायक
चाहे कोय भी नाम हमर दऽ हम अविनाश कहाबऽ ही