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"हजामत / अनूप सेठी" के अवतरणों में अंतर

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सैलून की कुर्सी पर बैठे हुए  
 
सैलून की कुर्सी पर बैठे हुए  
 
 
कान के पीछे उस्तरा चला तो सिहरन हुई   
 
कान के पीछे उस्तरा चला तो सिहरन हुई   
 
  
 
आइने में देखा बाबा ने  
 
आइने में देखा बाबा ने  
 
 
साठ-पैंसठ साल पहले भी  
 
साठ-पैंसठ साल पहले भी  
 
 
कान के पीछे गुदगुदी हुई थी  
 
कान के पीछे गुदगुदी हुई थी  
 
 
पिता ने कंधे से थाम लिया था   
 
पिता ने कंधे से थाम लिया था   
 
  
 
आइने में देखा बाबा ने  
 
आइने में देखा बाबा ने  
 
 
पीछे बैंच पर अधेड़ बेटा पत्रिकाएँ पलटता हुआ बैठा है  
 
पीछे बैंच पर अधेड़ बेटा पत्रिकाएँ पलटता हुआ बैठा है  
 
 
चालीस साल पहले यह भी उस्तरे की सरसराहट से बिदका था   
 
चालीस साल पहले यह भी उस्तरे की सरसराहट से बिदका था   
 
  
 
बाबा ने देखा आइने में  
 
बाबा ने देखा आइने में  
 
 
इकतालीस साल पहले जब पत्नी को पहली बार  
 
इकतालीस साल पहले जब पत्नी को पहली बार  
 
 
ब्याह के बाद गाँव में घास की गड्डी उठाकर लाते देखा था  
 
ब्याह के बाद गाँव में घास की गड्डी उठाकर लाते देखा था  
 
 
हरी कोमल झालर मुँह को छूकर गुज़री थी  
 
हरी कोमल झालर मुँह को छूकर गुज़री थी  
 
 
जैसे नाई ने पानी का फुहारा छोड़ा हो अचानक   
 
जैसे नाई ने पानी का फुहारा छोड़ा हो अचानक   
 
  
 
तीस साल पहले जब बेटी विदा हुई थी  
 
तीस साल पहले जब बेटी विदा हुई थी  
 
 
उसने कूक मारी थी जोर से आँखें भर आईं थीं  
 
उसने कूक मारी थी जोर से आँखें भर आईं थीं  
 
 
और नाई ने पौंछ दीं रौंएदार तौलिए से   
 
और नाई ने पौंछ दीं रौंएदार तौलिए से   
 
  
 
पाँच साल पहले पत्नी की देह को आग दी  
 
पाँच साल पहले पत्नी की देह को आग दी  
 
 
आँखें सूखी रहीं, गर्दन भीग गई थी  
 
आँखें सूखी रहीं, गर्दन भीग गई थी  
 
 
जैसे बालों के टुकड़े चिपके हुए चुभने लगे हैं   
 
जैसे बालों के टुकड़े चिपके हुए चुभने लगे हैं   
 
  
 
बाबा के हाथ नहीं पँहुचे गर्दन तक आँखों पर या कान के पीछे  
 
बाबा के हाथ नहीं पँहुचे गर्दन तक आँखों पर या कान के पीछे  
 
 
बेटा पत्रिका में खोया हुआ है  
 
बेटा पत्रिका में खोया हुआ है  
 
 
आइने में दुगनी दूर दिखता है  
 
आइने में दुगनी दूर दिखता है  
 
 
नाई कम्बख़्त देर बहुत लगाता है   
 
नाई कम्बख़्त देर बहुत लगाता है   
 
  
 
हड़बड़ा कर आख़री  बार आइने को देखा बाबा ने  
 
हड़बड़ा कर आख़री  बार आइने को देखा बाबा ने  
 
 
उठते हुए सीढ़ी से उतरते वक़्त बेटे ने कंधे को हौले से थामा  
 
उठते हुए सीढ़ी से उतरते वक़्त बेटे ने कंधे को हौले से थामा  
 
 
बाबा ने खुली हवा में साँस ली  
 
बाबा ने खुली हवा में साँस ली  
 
 
आसमान जरा धुंधला था   
 
आसमान जरा धुंधला था   
 
  
 
आइने बड़ा भरमाते हैं  
 
आइने बड़ा भरमाते हैं  
 
 
उस्तरा भी कहाँ से कहाँ चला जाता है  
 
उस्तरा भी कहाँ से कहाँ चला जाता है  
 
 
साठ पैंसठ साल से हर बार बाबा सोचते हैं  
 
साठ पैंसठ साल से हर बार बाबा सोचते हैं  
 
 
इस बार दिल जकड़ के जाऊंगा नाई के पास   
 
इस बार दिल जकड़ के जाऊंगा नाई के पास   
 
  
 
पाँच के हों या पिचहत्तर बरस के बाबा  
 
पाँच के हों या पिचहत्तर बरस के बाबा  
 
 
बड़ा दुष्कर है हजामत बनवाना
 
बड़ा दुष्कर है हजामत बनवाना
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22:09, 4 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

सैलून की कुर्सी पर बैठे हुए
कान के पीछे उस्तरा चला तो सिहरन हुई

आइने में देखा बाबा ने
साठ-पैंसठ साल पहले भी
कान के पीछे गुदगुदी हुई थी
पिता ने कंधे से थाम लिया था

आइने में देखा बाबा ने
पीछे बैंच पर अधेड़ बेटा पत्रिकाएँ पलटता हुआ बैठा है
चालीस साल पहले यह भी उस्तरे की सरसराहट से बिदका था

बाबा ने देखा आइने में
इकतालीस साल पहले जब पत्नी को पहली बार
ब्याह के बाद गाँव में घास की गड्डी उठाकर लाते देखा था
हरी कोमल झालर मुँह को छूकर गुज़री थी
जैसे नाई ने पानी का फुहारा छोड़ा हो अचानक

तीस साल पहले जब बेटी विदा हुई थी
उसने कूक मारी थी जोर से आँखें भर आईं थीं
और नाई ने पौंछ दीं रौंएदार तौलिए से

पाँच साल पहले पत्नी की देह को आग दी
आँखें सूखी रहीं, गर्दन भीग गई थी
जैसे बालों के टुकड़े चिपके हुए चुभने लगे हैं

बाबा के हाथ नहीं पँहुचे गर्दन तक आँखों पर या कान के पीछे
बेटा पत्रिका में खोया हुआ है
आइने में दुगनी दूर दिखता है
नाई कम्बख़्त देर बहुत लगाता है

हड़बड़ा कर आख़री बार आइने को देखा बाबा ने
उठते हुए सीढ़ी से उतरते वक़्त बेटे ने कंधे को हौले से थामा
बाबा ने खुली हवा में साँस ली
आसमान जरा धुंधला था

आइने बड़ा भरमाते हैं
उस्तरा भी कहाँ से कहाँ चला जाता है
साठ पैंसठ साल से हर बार बाबा सोचते हैं
इस बार दिल जकड़ के जाऊंगा नाई के पास

पाँच के हों या पिचहत्तर बरस के बाबा
बड़ा दुष्कर है हजामत बनवाना