भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आम्रपाली / युद्ध / भाग 1 / ज्वाला सांध्यपुष्प" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ज्वाला सांध्यपुष्प |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
|संग्रह=आम्रपाली / ज्वाला सांध्यपुष्प
 
|संग्रह=आम्रपाली / ज्वाला सांध्यपुष्प
 
}}
 
}}
{{KKCatAngikaRachna}}
+
{{KKCatBajjikaRachna}}
 
<poem>
 
<poem>
 
लाल पइसा सन् सुरुज इ बेरिआ गङ में डुबल।
 
लाल पइसा सन् सुरुज इ बेरिआ गङ में डुबल।

14:46, 26 जनवरी 2020 के समय का अवतरण

लाल पइसा सन् सुरुज इ बेरिआ गङ में डुबल।
गङा-किन्छार पर आकऽ, पूरा दुनिया बस्सल॥1॥

ऋतु मेघ के खतम भेल, आएल महिन्ना जार।
मग्गह से लरे ला हए इ, वैशाली तइआर॥2॥

बोझा-के-बोझा धनुष, आएल गरि से तीर।
भेजलक राज-नेपाल, कइसन-कइसन बीर॥3॥

कोनहारा से चमथा, तक हए सैनिक भरल।
गंधार कहँउ गौर्खाली कहँउ सजग मैथिल॥4॥

काशी से आ सेनानी, बनएलक किला अइसन।
चमथा से चनपुरा, चानी सन् चमकइअन॥5॥

राजापाकर में शिविर, चउकी चारो ओर।
स्कन्धावार कोन्हारा, पहुँचो न सक्कत चोर॥6॥

कुसुमपुर नगर हए भरल, अश्व-रथ-गज से अखनि।
पार करत गङ इ सब्भे, नइआ-पुल बनत् जखनि॥7॥

अधरतिया तक पुल बनत, मग्गह आएत ए पार।
जोश बर्हाबे योद्धा के, सुनिध करे जयकार॥8॥

कोसल से मङलक सैनिक, अंग देश से बाण।
कलिङ से आएल भाला, आउर चोख तलबार॥9॥

राजगीर में लोग रन्ज, जेहल बन्द बिम्बसार।
दोसर मोर्चा पर लरे, गेल आर्य वर्षकार॥10॥