भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आम्रपाली / युद्ध / भाग 6 / ज्वाला सांध्यपुष्प" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ज्वाला सांध्यपुष्प |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
|संग्रह=आम्रपाली / ज्वाला सांध्यपुष्प
 
|संग्रह=आम्रपाली / ज्वाला सांध्यपुष्प
 
}}
 
}}
{{KKCatAngikaRachna}}
+
{{KKCatBajjikaRachna}}
 
<poem>
 
<poem>
 
कोनहारा पर हए बनल्, अर्द्धचन्द्रकार व्यूह।
 
कोनहारा पर हए बनल्, अर्द्धचन्द्रकार व्यूह।

14:48, 26 जनवरी 2020 के समय का अवतरण

कोनहारा पर हए बनल्, अर्द्धचन्द्रकार व्यूह।
आएत कट्टल जाएत ऊ दुश्मनो झुण्ड के झुण्ड॥51॥

दक्खिन गमे खड़ा बज्जी सऽ, छाती हबे उतान।
लगतन काटे दुश्मन के, बज्जत शन्ख लगातार॥52॥

सुरुज आँख पर आ गेल, अवाज न कन्हु होइअ।
एगो बाघ दोसर पर उ, रह-रह कअ गुर्राइअ॥53॥

बइठल सतघोरबा रथ, पर हथ राज विशाल।
मारे खातिर दुश्मन के, तइयार हए अजात॥54॥

मन्त्र पर्ह कऽ शंख बजएलक, सोमप्रभ उ घूमकऽ।
काली के कल जोड़कअ, श्री सिंह सुमिरलन कसकऽ॥55॥

शंख बज्जल, तलबार बज्जल, फुर्र ककऽ चिड़इ उरल।
जेन्ना धावक सिटिक सुन, सुर्र होकऽ उ दउड़ल॥56॥

बज्ज गेल तुरही, दुदुम्भी, रणभेरी बज गेल।
आनक, गोमुख बजइते, केत्ता तीर चल गेल॥57॥

डिम्-डिम्-डिम् बज्जे रणभेरी, तुत्-तुत् तुरही करइअ।
डम्-डम्-डम् नगारा बज्जे पर, भाला तीर चलइअ॥58॥

हाथी दउड़इअ गाछ सन्, खूब धुर्रा उड़इअ।
हिनहिनाकऽ घोड़ा छरपे, अन्हर में न बुझाइअ॥59॥

हाथी चिग्घरे अन्कुश पर, घोड़ा चोट लग्गे पर।
सैनिक गिरे पेड़ नाहित, टूटे रथ जइसे घर॥60॥