भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शुभकामनाएँ / संतरण / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर |संग्रह=संतरण / महेन्द्र भटनागर }} जो ल...)
 
छो ()
(कोई अंतर नहीं)

14:51, 30 दिसम्बर 2009 का अवतरण

जो लड़ रहे
साम्राज्यवादी शक्तियों से देश,
जिनकी वीर जनता ने
किया धारण शहीदी वेश
भेजता हूँ मैं उन्हें शुभकामनाएँ —

हो विजय !

भेजता विश्वास हूँ —
हे अभय !
अन्तिम विजय तुमको मिलेगी,
आततायी-दुर्ग की दृढ़ नींव

निश्चय ही हिलेगी,

स्वार्थमय
साम्राज्य-लिप्सा से सनी

सत्ता ढहेगी !

मुक्त जनता
उठ
बुलन्दी से
निडर बन
मातृ-भू की जय कहेगी !

जानते हैं हम
जानते हो तुम
जगत की वस्तु सर्वोत्तम
व्यक्ति की स्वाधीनता है

व्यक्ति के हित में !

धरा पर
एक मानव भी
न वंचित हो
प्रथम अधिकार से
स्वाधीन जीवन से।
अतः
संघर्ष जो तुम कर रहे हो,
देश का बूढ़ी शिराओं में
युवा बल भर रहे हो
शक्ति उससे पा रहा मैं भी !
राष्ट्र की स्वाधीनता का गीत
मिल कर गा रहा मैं भी !