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"भोर मेरी ही हँसी / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
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+ | कैसा ये बीज । | ||
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+ | मिलना दूर | ||
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+ | जीवन का सफ़र | ||
+ | रंग भर दो । | ||
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+ | वासन्ती रूप | ||
+ | ले मन में बसना | ||
+ | आज के दिन । | ||
+ | 98 | ||
+ | सँजोए काँटे | ||
+ | रूप और खुशबू: | ||
+ | जग को बाँटे। | ||
+ | 99 | ||
+ | तुम्हारा रूप | ||
+ | मंदिर में पावन | ||
+ | जलती धूप | ||
+ | 100 | ||
+ | भाव-तरंग | ||
+ | छलकी चेहरे पे | ||
+ | नई उमंग। | ||
+ | 101 | ||
+ | व्याकुल प्राण | ||
+ | जब देखा तुमको | ||
+ | मिला है त्राण। | ||
+ | 102 | ||
+ | चाह इतनी | ||
+ | अन्तिम साँसें जब | ||
+ | तुम हो पास। | ||
+ | 103 | ||
+ | तुम्हारी साँसें | ||
+ | मलयानिल भीगा | ||
+ | भोर समीर । | ||
+ | 104 | ||
+ | तुम्हारे नैन | ||
+ | जीवन उमंग का | ||
+ | भरे हैं नीर। | ||
+ | 105 | ||
+ | तेरा मिलना | ||
+ | शोख फूलों का मिल | ||
+ | जैसे खिलाना। | ||
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07:50, 8 सितम्बर 2019 के समय का अवतरण
91
शाम भी मेरी
भोर मेरी ही हँसी
तुम भी हँसो ।
92
प्रिय हो दूर
बेनूर है चेहरा
मन उदास ।
93
आँखें तरसें
अपलक तकतीं
सूनी है बाट ।
94
रंग है खोया
व्याकुलता ने बोया
कैसा ये बीज ।
95
मिलना दूर
तो मन सुमन का
खिलना दूर ।
96
हुआ बेरंग
जीवन का सफ़र
रंग भर दो ।
97
वासन्ती रूप
ले मन में बसना
आज के दिन ।
98
सँजोए काँटे
रूप और खुशबू:
जग को बाँटे।
99
तुम्हारा रूप
मंदिर में पावन
जलती धूप
100
भाव-तरंग
छलकी चेहरे पे
नई उमंग।
101
व्याकुल प्राण
जब देखा तुमको
मिला है त्राण।
102
चाह इतनी
अन्तिम साँसें जब
तुम हो पास।
103
तुम्हारी साँसें
मलयानिल भीगा
भोर समीर ।
104
तुम्हारे नैन
जीवन उमंग का
भरे हैं नीर।
105
तेरा मिलना
शोख फूलों का मिल
जैसे खिलाना।