"मुक्त अलकें / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
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अँजुरी भर-भर | अँजुरी भर-भर | ||
− | जीवन- घट | + | जीवन- घट रीता |
प्यास लगी थी | प्यास लगी थी | ||
दो घूँट जल माँगा | दो घूँट जल माँगा | ||
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रंग बिखरे | रंग बिखरे | ||
इन्द्रधनुष बन | इन्द्रधनुष बन | ||
− | + | नयनों के नभ में | |
छलक रहा | छलक रहा | ||
साँझ-सा अनुराग | साँझ-सा अनुराग | ||
पलकों की कोरों पे । | पलकों की कोरों पे । | ||
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− | फूटी | + | फूटी किरनें |
सुरमई साँझ भी | सुरमई साँझ भी | ||
− | रूपसी बन | + | रूपसी बन गई। |
लौटेंगे सब | लौटेंगे सब | ||
माना नीड़ में पाखी | माना नीड़ में पाखी | ||
− | ये | + | ये पल न लौटेंगे। |
27 | 27 | ||
मत रो यार | मत रो यार | ||
अब तक जो बीता | अब तक जो बीता | ||
− | वापस न आएगा | + | वापस न आएगा, |
पास में तेरे | पास में तेरे | ||
जितने भी पल हैं | जितने भी पल हैं | ||
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कुरेदो नहीं | कुरेदो नहीं | ||
तुमने जो दिए थे | तुमने जो दिए थे | ||
− | घाव हुए गहरे , | + | घाव हुए गहरे, |
कैसे सुनेंगे | कैसे सुनेंगे | ||
हाल मेरे मन का | हाल मेरे मन का | ||
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एकाकी मन | एकाकी मन | ||
सरहदों के पार | सरहदों के पार | ||
− | + | ढूँढता रहा प्यार, | |
उठी नज़र | उठी नज़र | ||
जो घर-आँगन में | जो घर-आँगन में |
16:13, 8 अप्रैल 2021 के समय का अवतरण
21
दे नहीं पाए
सुख के दो पल भी
दी दर्द की सौगातें,
यही बचा था
निर्मम दुनिया में
तेरे हिस्से में आया ।
22
नेह था बाँटा
अँजुरी भर-भर
जीवन- घट रीता
प्यास लगी थी
दो घूँट जल माँगा
कुछ भी नहीं पाया ।
23
माथा तुम्हारा
मेघमाला से झाँके
ज्यों चाँद का टुकड़ा,
चाँद में दाग़
बिखरे जहाँ पर
नभ में छोड़ आया ।
24
मुक्त अलकें
बिखरी है खुशबू
चन्दनी हवाओं की,
अधरों पर
थिरकी मधुरिमा
पावन ॠचाओं की ।
25
रंग बिखरे
इन्द्रधनुष बन
नयनों के नभ में
छलक रहा
साँझ-सा अनुराग
पलकों की कोरों पे ।
26
फूटी किरनें
सुरमई साँझ भी
रूपसी बन गई।
लौटेंगे सब
माना नीड़ में पाखी
ये पल न लौटेंगे।
27
मत रो यार
अब तक जो बीता
वापस न आएगा,
पास में तेरे
जितने भी पल हैं
उनसे प्यार करो ।
28
कुरेदो नहीं
तुमने जो दिए थे
घाव हुए गहरे,
कैसे सुनेंगे
हाल मेरे मन का
जो जन्म से बहरे ।
29
एकाकी मन
सरहदों के पार
ढूँढता रहा प्यार,
उठी नज़र
जो घर-आँगन में
उनको वहाँ पाया ।
30
मेरे ही नाम
अपने नयनों का
तुम पानी कर दो,
मैं सींच दूँगा
मन का उपवन
फूल खिल जाएँगे ।