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"किसी दरवेश की झोली दुआओं से नहीं ख़ाली / हरिराज सिंह 'नूर'" के अवतरणों में अंतर
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+ | मगर दुनिया गुनाहों की सज़ाओं से नहीं ख़ाली। | ||
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22:23, 27 अक्टूबर 2019 के समय का अवतरण
किसी दरवेश की झोली दुआओं से नहीं ख़ाली।
कि जैसे दामने-दुनिया ख़ताओं से नहीं ख़ाली।
वफ़ादारी वो नुस्ख़ा है जो ज़िन्दा रक्खे दुनिया को,
परस्तारे-वफ़ा रहते, दवाओं से नहीं ख़ाली।
बहुत मुमकिन बुलन्दी पर न ठहरे आदमी लेकिन,
जफ़ा परवर मगर होगा जफ़ाओं से नहीं ख़ाली।
फ़लक पर रोज़ चमकेंगे ये दिलकश चाँद और तारे,
किसी दिन भी ज़मीं होगी फ़ज़ाओं से नहीं ख़ाली।
गुनाहों का कभी ब्यौरा न रख पाया है ‘नूर’ अब तक,
मगर दुनिया गुनाहों की सज़ाओं से नहीं ख़ाली।