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"नवगीत / प्रताप नारायण सिंह" के अवतरणों में अंतर
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− | एक दिन
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− | मैं और तुम, बस
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− | बीच में कोई न हो
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− | खटकरम सब ज़िन्दगी के लुप्त हों
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− | कष्ट, चिंताएँ सभी ही सुप्त हों
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− | दृष्टि बाँधे
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− | बस गदोली
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− | गुदगुदाती तुम रहो
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− | कोई आहट या प्रतीक्षा भी न हो
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− | बाह्य जग की कोई इच्छा भी न हो
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− | मैं कहूँ जो
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− | तुम सुनो, बस
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− | मैं सुनूँ जो तुम कहो
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− | फूटता अंतः-क्षितिज से गीत हो
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− | प्राण को जोड़े हृदय-संगीत हो
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− | बाँह धर
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− | तुममें बहूँ मैं
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− | और तुम मुझमें बहो
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− | हम झुलाएँ साँझ, दुपहर, भोर को
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− | पालना कर पूर्व-पश्चिम छोर को
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22:08, 6 नवम्बर 2019 का अवतरण