"धौलाधार / अनूप सेठी" के अवतरणों में अंतर
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धौलाधार! | धौलाधार! | ||
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तुझे मैं छोड़ आया हूं | तुझे मैं छोड़ आया हूं | ||
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यह सोच नहीं पाता | यह सोच नहीं पाता | ||
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संस्कारी मन सी धवलधार | संस्कारी मन सी धवलधार | ||
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तुझे लिए हुए सरकता हूं | तुझे लिए हुए सरकता हूं | ||
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मैं धुंआखोर सड़कें | मैं धुंआखोर सड़कें | ||
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काली कलूटी | काली कलूटी | ||
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तू विचारना मत ज्यादा | तू विचारना मत ज्यादा | ||
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मेरे तेरे बीच कुछ सैंकड़ा मील पटड़ियां उग आई हैं | मेरे तेरे बीच कुछ सैंकड़ा मील पटड़ियां उग आई हैं | ||
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फिर भी हम घूमेंगे सागर तट साथ साथ | फिर भी हम घूमेंगे सागर तट साथ साथ | ||
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कल समुद्र सलेटी रंग का | कल समुद्र सलेटी रंग का | ||
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मुझे सलवट पड़ी चादर सा लगा | मुझे सलवट पड़ी चादर सा लगा | ||
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आसमान ने उसे काट रखा था पाताल व्यापी | आसमान ने उसे काट रखा था पाताल व्यापी | ||
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यहां कोई नहीं जानता | यहां कोई नहीं जानता | ||
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समुद्र का ठिकाना | समुद्र का ठिकाना | ||
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आकाश का पता | आकाश का पता | ||
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देखो न मैं भी कल | देखो न मैं भी कल | ||
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बिस्तर की चादर समझ के लौट आया | बिस्तर की चादर समझ के लौट आया | ||
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पर उस तट से लगाव है मुझे | पर उस तट से लगाव है मुझे | ||
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तेरी घाटियों सा | तेरी घाटियों सा | ||
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तू सोच मत | तू सोच मत | ||
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जहां तक वह चादर दिखती है | जहां तक वह चादर दिखती है | ||
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वहां तुझे रख दूंगा अभ्रभेदी | वहां तुझे रख दूंगा अभ्रभेदी | ||
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तब यह जो जंगल बिछा है अंधा | तब यह जो जंगल बिछा है अंधा | ||
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धुंएबाज आदमखोर | धुंएबाज आदमखोर | ||
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कुछ तो फाटक पिघलाएगा अपने | कुछ तो फाटक पिघलाएगा अपने | ||
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फिर भी इस आदमखोर जंगल से मैत्री कर पाऊंगा | फिर भी इस आदमखोर जंगल से मैत्री कर पाऊंगा | ||
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यह सोच नहीं पाता | यह सोच नहीं पाता | ||
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वैसे ही जैसे | वैसे ही जैसे | ||
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धौलाधार! | धौलाधार! | ||
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तुझे मैं छोड़ आया हूं | तुझे मैं छोड़ आया हूं | ||
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यह सोच नहीं पाता | यह सोच नहीं पाता | ||
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(1983) | (1983) | ||
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22:02, 4 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
धौलाधार!
तुझे मैं छोड़ आया हूं
यह सोच नहीं पाता
संस्कारी मन सी धवलधार
तुझे लिए हुए सरकता हूं
मैं धुंआखोर सड़कें
काली कलूटी
तू विचारना मत ज्यादा
मेरे तेरे बीच कुछ सैंकड़ा मील पटड़ियां उग आई हैं
फिर भी हम घूमेंगे सागर तट साथ साथ
कल समुद्र सलेटी रंग का
मुझे सलवट पड़ी चादर सा लगा
आसमान ने उसे काट रखा था पाताल व्यापी
यहां कोई नहीं जानता
समुद्र का ठिकाना
आकाश का पता
देखो न मैं भी कल
बिस्तर की चादर समझ के लौट आया
पर उस तट से लगाव है मुझे
तेरी घाटियों सा
तू सोच मत
जहां तक वह चादर दिखती है
वहां तुझे रख दूंगा अभ्रभेदी
तब यह जो जंगल बिछा है अंधा
धुंएबाज आदमखोर
कुछ तो फाटक पिघलाएगा अपने
फिर भी इस आदमखोर जंगल से मैत्री कर पाऊंगा
यह सोच नहीं पाता
वैसे ही जैसे
धौलाधार!
तुझे मैं छोड़ आया हूं
यह सोच नहीं पाता
(1983)