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"धवल धरा / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

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किसी का दुख पूछो-
 
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ये पाप बड़ा।  
 
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सोया है शीत
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ओढ़ शुभ्र दूकूल
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गहन निद्रा।
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हिम-अंधड़
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करे क्रुद्ध गर्जन
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बधिर नभ।
 
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08:23, 25 जनवरी 2020 का अवतरण

201
धवल धरा
सूरज का रथ भी
आने से डरा।
202
हिम का गर्व
कर देती है खर्व
नन्ही-सी दूब।
203
चिट्टी चादर
भोर में ही बिछाई
बैठो तो भाई।
204
संताप बड़ा
किसी का दुख पूछो-
ये पाप बड़ा।
205
सोया है शीत
ओढ़ शुभ्र दूकूल
गहन निद्रा।
206
हिम-अंधड़
करे क्रुद्ध गर्जन
बधिर नभ।
-0-