भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"नए सिरे से / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नागार्जुन |संग्रह=खिचड़ी विप्लव देखा हमने / नागार्जुन...) |
छो (नए सिरे से /नागार्जुन का नाम बदलकर नए सिरे से / नागार्जुन कर दिया गया है) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:22, 26 दिसम्बर 2009 का अवतरण
नए सिरे से
घिरे-घिरे से
हमने झेले
तानाशाही के वे हमले
आगे भी झेलें हम शायद
तानाशाही के वे हमले... नए सिरे से
- घिरे-घिरे से
"बदल-बदल कर चखा करे तू दुख-दर्दों का स्वाद"
"शुद्ध स्वदेशी तानाशाही आए तुझको याद"
"फिर-फिर तुझको हुलसित रक्खे अपना ही उन्माद"
"तुझे गर्व है, बना रहे तू अपना ही अपवाद"
(रचनाकाल : 1977)