भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रोया करेंगे आप भी पहरों इसी तरह / मोमिन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: रोया करेंगे आप भी पहरों मेरी तरह, अटका कहीं जो आप का दिल भी मेरी तरह. ना ता...)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 +
|रचनाकार=मोमिन
 +
}}
 +
<poem>
 
रोया करेंगे आप भी पहरों मेरी तरह,
 
रोया करेंगे आप भी पहरों मेरी तरह,
 
अटका कहीं जो आप का दिल भी मेरी तरह.
 
अटका कहीं जो आप का दिल भी मेरी तरह.

06:53, 30 अगस्त 2008 का अवतरण

रोया करेंगे आप भी पहरों मेरी तरह,
अटका कहीं जो आप का दिल भी मेरी तरह.

ना ताब हिज्र में है ना आराम वसल में,
कम्बखत दिल को चैन नही है किसी तरह.

गर चुप रहें तो गम-ऐ-हिज्राँ से छूट जाएँ,
कहते तो हैं भले की वो लेकिन बुरी तरह.

ना जाए वां बने है ना बिन जाए चैन है,
क्या कीजिये हमें तो है मुश्किल सभी तरह.

लगती है गालियाँ भी तेरी मुझे क्या भली,
कुर्बान तेरे, फिर मुझे कह ले इसी तरह.

हूँ जां बला बुतां-ए-सितमगर के हाथ से,
क्या सब जहाँ में जीते हैं "मोमिन" इसी तरह...