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कहीं बेवज़ह सहारा तो कहीं खौफ़नाक अकेलापन है | कहीं बेवज़ह सहारा तो कहीं खौफ़नाक अकेलापन है | ||
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कभी सख्त रूढि़यों की दीवार से बाहर की लड़ाई है... | कभी सख्त रूढि़यों की दीवार से बाहर की लड़ाई है... | ||
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..तो कभी घर की ही छत तले अस्तित्व की खोज है | ..तो कभी घर की ही छत तले अस्तित्व की खोज है | ||
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समझौतों की बुनियाद पर खड़ा ये सारा जीवन | समझौतों की बुनियाद पर खड़ा ये सारा जीवन | ||
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जैसे-जैसे अपने होने को घटाता है... | जैसे-जैसे अपने होने को घटाता है... | ||
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दुनिया की नज़रों में बड़ा होता जाता है | दुनिया की नज़रों में बड़ा होता जाता है | ||
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...कहीं मरियम तो कहीं देवी की महिमा का स्वरूप पाता है! | ...कहीं मरियम तो कहीं देवी की महिमा का स्वरूप पाता है! | ||
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19:33, 24 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
पेचीदा, उलझी हुई राहों का सफ़र है
कहीं बेवज़ह सहारा तो कहीं खौफ़नाक अकेलापन है
कभी सख्त रूढि़यों की दीवार से बाहर की लड़ाई है...
..तो कभी घर की ही छत तले अस्तित्व की खोज है
समझौतों की बुनियाद पर खड़ा ये सारा जीवन
जैसे-जैसे अपने होने को घटाता है...
दुनिया की नज़रों में बड़ा होता जाता है
...कहीं मरियम तो कहीं देवी की महिमा का स्वरूप पाता है!