भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मामा के घर‌ / प्रभुदयाल श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
 
}}
 
}}
{{KKCatKavita}}
+
{{KKCatBaalKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
 
छुट्टी में भई कहाँ चलेंगे,
 
छुट्टी में भई कहाँ चलेंगे,

13:06, 29 मार्च 2020 के समय का अवतरण

छुट्टी में भई कहाँ चलेंगे,
मामा के घर, मामा के घर।

मस्ती जाकर कहाँ करेंगे,
मामा के घर, मामा के घर।

आम खा‍येंगे मामा के घर,
जाम खाये‍गे मामा के घर।
बड़े संतरे कहाँ मिलेंगे,
मामा के घर मामा के घर।

बाग बगीचे मामा के घर,
बाग गलीचे मामा के घर।
क्रिकेट मैच कहाँ खेलेंगे,
मामा के घर मामा के घर।

गन्ने खायें मामा के घर,
होला खायें मामा के घर।
ठंडी लस्सी कहाँ पियेंगे,
मामा के घर मामा के घर।

खेत जायेंगे मामा के घर,
चने खायेंगे मामा के घर।
रॊज पेड़ पर कहाँ चढ़ेंगे,
मामा के घर मामा के घर।

खूब हँसेगे मामा के घर,
शोर करेंगे मामा कॆ घर।
दूध किलो भर कहाँ पियेंगे,
मामा के घर मामा के घर।