"होगी पेपरलेस पढ़ाई / प्रभुदयाल श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
− | {{ | + | {{KKCatBaalKavita}} |
<poem> | <poem> | ||
होगी पेपरलेस पढ़ाई, | होगी पेपरलेस पढ़ाई, |
13:09, 29 मार्च 2020 के समय का अवतरण
होगी पेपरलेस पढ़ाई,
बहुत आजकल हल्ला।
कागज की तो शामत आई,
बहुत आजकल हल्ला।
कागज-पेन-किताबों की तो,
कर ही देंगे छुट्टी।
बस्ते दादा से भी होगी,
पूरी-पूरी कुट्टी।
पर होगी कैसे भरपाई,
बहुत आजकल हल्ला।
रबर-पेंसिल-परकारों का,
होगा काम न बाकी।
चांदा-सेटिस्क्वेयर-कटर भी,
होंगे स्वर्ग निवासी।
होगी कैसे सहन जुदाई,
बहुत आजकल हल्ला।
ब्लैकबोर्ड का क्या होगा अब,
रोज पूछते दादा।
पेपरलेस पढ़ाई वाला,
होगा पागल आधा।
चॉक करेगी खूब लड़ाई,
बहुत आजकल हल्ला।
कभी किराना सब्जी लेने,
जब दादाजी जाते।
लेकर पेन किसी कॉपी में,
सब हिसाब लिख लाते।
हाय करें अब कहाँ लिखाई,
बहुत आजकल हल्ला।
रखे हाथ पर हाथ रिसानी,
बैठी मालिन काकी।
कागज पर ही तो लिखती है,
जोड़ घटाकर बाकी।
कर्ज वसूले कैसे भाई,
बहुत आजकल हल्ला।
कागज-पेन-किताबें ओझल,
कैसी होगी आंधी।
पूछो तो इन बातों से क्या,
सहमत होंगे गांधी।
यह तो होगी बड़ी ढिठाई,
बहुत आजकल हल्ला।