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लड़की को दान में देते वक़्त | लड़की को दान में देते वक़्त | ||
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जैसे वही उसकी अंतिम पूंजी हो | जैसे वही उसकी अंतिम पूंजी हो | ||
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लड़की अभी सयानी नहीं थी | लड़की अभी सयानी नहीं थी | ||
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अभी इतनी भोली सरल थी | अभी इतनी भोली सरल थी | ||
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लेकिन दुख बाँचना नहीं आता था | लेकिन दुख बाँचना नहीं आता था | ||
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पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की | पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की | ||
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कुछ तुकों और लयबद्ध पंक्तियों की | कुछ तुकों और लयबद्ध पंक्तियों की | ||
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माँ ने कहा पानी में झाँककर | माँ ने कहा पानी में झाँककर | ||
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अपने चेहरे में मत रीझाना | अपने चेहरे में मत रीझाना | ||
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आग रोटियाँ सेंकने के लिए है | आग रोटियाँ सेंकने के लिए है | ||
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जलने के लिए नहीं | जलने के लिए नहीं | ||
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वस्त्र और आभूषण शब्दिक भ्रमों की तरह | वस्त्र और आभूषण शब्दिक भ्रमों की तरह | ||
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बंधन हैं स्त्री-जीवन के | बंधन हैं स्त्री-जीवन के | ||
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माँ ने कहा लड़की होना | माँ ने कहा लड़की होना | ||
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पर लड़की जैसी मत दिखाई देना। | पर लड़की जैसी मत दिखाई देना। | ||
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19:53, 24 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
कितना प्रामाणिक था उसका दुख
लड़की को दान में देते वक़्त
जैसे वही उसकी अंतिम पूंजी हो
लड़की अभी सयानी नहीं थी
अभी इतनी भोली सरल थी
कि उसे सुख का आभास होता था
लेकिन दुख बाँचना नहीं आता था
पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की
कुछ तुकों और लयबद्ध पंक्तियों की
माँ ने कहा पानी में झाँककर
अपने चेहरे में मत रीझाना
आग रोटियाँ सेंकने के लिए है
जलने के लिए नहीं
वस्त्र और आभूषण शब्दिक भ्रमों की तरह
बंधन हैं स्त्री-जीवन के
माँ ने कहा लड़की होना
पर लड़की जैसी मत दिखाई देना।