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"पंख पसारे पुरवा आई / मधुसूदन साहा" के अवतरणों में अंतर
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घर का कोना-कोना महका, | घर का कोना-कोना महका, | ||
आंगन का सूनापन चहका, | आंगन का सूनापन चहका, | ||
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खुशबू फैली दूर-दूर तक | खुशबू फैली दूर-दूर तक | ||
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शायद चंदन वन से इसने | शायद चंदन वन से इसने | ||
मलयज की झोली भर लाई। | मलयज की झोली भर लाई। | ||
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राहत मिली सभी को थोड़ी, | राहत मिली सभी को थोड़ी, | ||
सबने उखड़ी सासें जोड़ी, | सबने उखड़ी सासें जोड़ी, | ||
पिछवाड़े में जाकर इसने | पिछवाड़े में जाकर इसने | ||
नई निबौरी जीभर तोडी, | नई निबौरी जीभर तोडी, | ||
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शीतलता ने सरस परस से | शीतलता ने सरस परस से | ||
रोम-रोम में प्रीत जगाई। | रोम-रोम में प्रीत जगाई। | ||
झूम उठी बगिया कि क्यारी, | झूम उठी बगिया कि क्यारी, | ||
पंखुरियाँ लगती अति प्यारी, | पंखुरियाँ लगती अति प्यारी, | ||
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टिटकारी सुनकर टिटही की | टिटकारी सुनकर टिटही की | ||
− | कली-कली | + | कली-कली भरती किलकारी, |
सबके मन में नई खुशी की | सबके मन में नई खुशी की | ||
मीठी-मीठी लहर समाई। | मीठी-मीठी लहर समाई। | ||
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07:00, 23 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
शीतलता अँजुरी में भरकर
पंख पसारे पुरवा आई
घर का कोना-कोना महका,
आंगन का सूनापन चहका,
खुशबू फैली दूर-दूर तक
माटी का अंतमन लहका,
शायद चंदन वन से इसने
मलयज की झोली भर लाई।
राहत मिली सभी को थोड़ी,
सबने उखड़ी सासें जोड़ी,
पिछवाड़े में जाकर इसने
नई निबौरी जीभर तोडी,
शीतलता ने सरस परस से
रोम-रोम में प्रीत जगाई।
झूम उठी बगिया कि क्यारी,
पंखुरियाँ लगती अति प्यारी,
टिटकारी सुनकर टिटही की
कली-कली भरती किलकारी,
सबके मन में नई खुशी की
मीठी-मीठी लहर समाई।