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चुप एकटक पैडल मारता | चुप एकटक पैडल मारता | ||
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पूरे शहर में घूम रहा था हाहाकार। | पूरे शहर में घूम रहा था हाहाकार। | ||
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12:12, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
एक औरत पूरे शरीर से रो रही थी
एक पछाड़ थी वह
हाहाकार
उससे बड़ी एक औरत उसे छाती से
बांधे हुई थी पत्थर बनी
और एक रिक्शा खींच रहा था लगातार
चुप एकटक पैडल मारता
हर घर हर दुकान को उकटेरता
पूरे शहर में घूम रहा था हाहाकार।