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"ये बात पुरानी है / प्रियंका गुप्ता" के अवतरणों में अंतर

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सागर ये गहरा है
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कैसे पार करूँ
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साँसों पे पहरा है ।
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उस पल ही हार हुई ।
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नाम लिखूँ तेरा
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आ जाना यादों में
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साथ नहीं छोड़ूँ
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कह देना वादों में ।
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सन्नाटा ये बोले
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भेद दिलों के अब
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दो नैना भी खोले ।
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अब नींद नहीं आती
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चाँद सताता है
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भेजे ना तू पाती ।
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रुत बहुत सुहानी है
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तुमसे मिलते ही
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कलियाँ खिल जानी है ।
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कितनी सूनी रातें
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थोड़ा चैन मिला
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पी लीं तेरी बातें ।
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मुश्किल तो जीना है
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तेरा साथ रहे
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हर ग़म को पीना है ।
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सुनसान डगर मेरी
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चलते जाना है
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तूने अँखियाँ फेरी ।
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छोटा -सा बच्चा है
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बातें समझ -भरी
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न अकल का कच्चा है ।
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काटे जो पेड़ यहाँ
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इक दिन होगा वो
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ढूँढोगे साँस कहाँ ।
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जो प्रीत निभाई है
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सुख-दुख साथ जिएँ
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अब कसम उठाई है ।
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कब ऐसा था जाना
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तुझसे प्रीत हुई
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जग लगता बेगाना ।
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20:05, 13 जून 2020 के समय का अवतरण

1
ये बात पुरानी है
जन्मों का रिश्ता है
अब प्रीत निभानी है ।
2
सागर ये गहरा है
कैसे पार करूँ
साँसों पे पहरा है ।
3
नैया ये डूब गई
हार गया हिम्मत
उस पल ही हार हुई ।
4
साँसों की डोरी पर
नाम लिखूँ तेरा
मन -चादर कोरी पर
5
आ जाना यादों में
साथ नहीं छोड़ूँ
कह देना वादों में ।
6
सन्नाटा ये बोले
भेद दिलों के अब
दो नैना भी खोले ।
7
अब नींद नहीं आती
चाँद सताता है
भेजे ना तू पाती ।
8
रुत बहुत सुहानी है
तुमसे मिलते ही
कलियाँ खिल जानी है ।
9
कितनी सूनी रातें
थोड़ा चैन मिला
पी लीं तेरी बातें ।
10
मुश्किल तो जीना है
तेरा साथ रहे
हर ग़म को पीना है ।
11
सुनसान डगर मेरी
चलते जाना है
तूने अँखियाँ फेरी ।
12
छोटा -सा बच्चा है
बातें समझ -भरी
न अकल का कच्चा है ।
13
काटे जो पेड़ यहाँ
इक दिन होगा वो
ढूँढोगे साँस कहाँ ।
14
जो प्रीत निभाई है
सुख-दुख साथ जिएँ
अब कसम उठाई है ।
15
कब ऐसा था जाना
तुझसे प्रीत हुई
जग लगता बेगाना ।
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