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"रिश्ता / प्रियंका गुप्ता" के अवतरणों में अंतर
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+ | आज पराया | ||
+ | छोड़ के गया जो तू | ||
+ | फिर न आया | ||
+ | नैना राह निहारे | ||
+ | भरमाए-से | ||
+ | सच को स्वीकारना | ||
+ | मन न माने | ||
+ | हर रिश्ते की यही | ||
+ | होती कहानी | ||
+ | दुःख मनाऊँ तो क्यों | ||
+ | यही तो ज़िन्दगानी । | ||
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20:09, 13 जून 2020 के समय का अवतरण
कहा था तूने
चलूँगा साथ तेरे
इस छोर से
उस छोर तलक
हर रुत में
रुकूँगा न थकूँगा
संग रहूँगा
मौसम जो बदला
वादा है टूटा
कड़ी धूप में देखो
रिश्ता बदला
कल जो था अपना
आज पराया
छोड़ के गया जो तू
फिर न आया
नैना राह निहारे
भरमाए-से
सच को स्वीकारना
मन न माने
हर रिश्ते की यही
होती कहानी
दुःख मनाऊँ तो क्यों
यही तो ज़िन्दगानी ।