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"संगीत / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर

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मैंने उसे ज़ोर से बजाया कान के पास
 
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तो मेरे भीतर हलचल हुई ख़ूब
 
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और बंदी पानी
 
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तीन आँखों तक आया रास्ता फोड़ता
 
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उतने बड़े घर से भाग खोली में छुपा
 
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पानी
 
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हथेलियों से किवाड़ पीटता
 
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12:42, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

मैंने उसे ज़ोर से बजाया कान के पास
तो मेरे भीतर हलचल हुई ख़ूब
और बंदी पानी
तीन आँखों तक आया रास्ता फोड़ता
उतने बड़े घर से भाग खोली में छुपा
पानी
हथेलियों से किवाड़ पीटता
छलछला रहा था।