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आके मिल जाओ / कविता भट्ट
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09:13, 30 जुलाई 2020
प्रियतम! दीपों की टोली, तुम रंग भी हो रंगोली।
थाल पूजा
की
का
हो पावन कि मेरे घनश्याम हो तुम।
</poem>
वीरबाला
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