भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आस फले / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
<poem>
 
<poem>
 
1
 
1
'''इक बार चले आओ'''
+
इक बार चले आओ
'''तुमसे लिपटूँगी'''
+
तुमसे लिपटूँगी
'''अब आस फले आओ'''
+
अब आस फले आओ
 
(11-2-19)
 
(11-2-19)
 
2
 
2
पंक्ति 16: पंक्ति 16:
 
वासंती -सा बहना।
 
वासंती -सा बहना।
 
3
 
3
'''जब से तुम आए हो'''
+
जब से तुम आए हो
'''जीवन है बगिया'''
+
जीवन है बगिया
'''माली -से भाए हो।'''
+
माली -से भाए हो।
<poem>
+
</poem>

10:47, 31 जुलाई 2020 के समय का अवतरण

1
इक बार चले आओ
तुमसे लिपटूँगी
अब आस फले आओ
(11-2-19)
2
खुशबू बनकर रहना
मन के आँगन में
वासंती -सा बहना।
3
जब से तुम आए हो
जीवन है बगिया
माली -से भाए हो।