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"स्मृतियाँ / अजित कुमार" के अवतरणों में अंतर

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पगध्वनियाँ जितनी भी,
 
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:जब भी सुनाई दीं
 
:जब भी सुनाई दीं
 
 
::मेरे ही जूतों की  
 
::मेरे ही जूतों की  
 
 
::घिसट रही गतियाँ थीं ।  
 
::घिसट रही गतियाँ थीं ।  
 
 
:आकृतियाँ जैसी भी,
 
:आकृतियाँ जैसी भी,
 
 
:जो भी दिखायी दीं
 
:जो भी दिखायी दीं
 
 
::दर्पण में मेरे ही
 
::दर्पण में मेरे ही
 
 
::मुख की विकृतियाँ थी ।
 
::मुख की विकृतियाँ थी ।
 
 
:कितु आह । स्मृतियाँ ॥
 
:कितु आह । स्मृतियाँ ॥
 
 
::-वे केवल तुम्हारी ही
 
::-वे केवल तुम्हारी ही
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11:56, 1 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

पगध्वनियाँ जितनी भी,
जब भी सुनाई दीं
मेरे ही जूतों की
घिसट रही गतियाँ थीं ।
आकृतियाँ जैसी भी,
जो भी दिखायी दीं
दर्पण में मेरे ही
मुख की विकृतियाँ थी ।
कितु आह । स्मृतियाँ ॥
-वे केवल तुम्हारी ही