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"पूर्वजों की अस्थियों में / अशोक वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर

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हम अपने पूर्वजों की अस्थियों में रहते हैं-
 
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हम उठाते हैं एक शब्द  
 
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और किसी पिछली शताब्दी का वाक्य-विन्यास  
 
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विचलित होता है,
 
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हम खोलते हैं द्वार  
 
हम खोलते हैं द्वार  
 
 
और आवाज़ गूँजती है एक प्राचीन घर में कहीं-
 
और आवाज़ गूँजती है एक प्राचीन घर में कहीं-
 
 
  
 
हम वनस्पतियों की अभेद्य छाँह में रहते हैं  
 
हम वनस्पतियों की अभेद्य छाँह में रहते हैं  
 
 
कीड़ों की तरह  
 
कीड़ों की तरह  
 
 
  
 
हम अपने बच्चों को  
 
हम अपने बच्चों को  
 
 
छोड़ जाते हैं पूर्वजों के पास  
 
छोड़ जाते हैं पूर्वजों के पास  
 
 
काम पर जाने के पहले  
 
काम पर जाने के पहले  
 
 
  
 
हम उठाते हैं टोकनियों पर  
 
हम उठाते हैं टोकनियों पर  
 
 
बोझ और समय   
 
बोझ और समय   
 
 
हम रुखी-सुखी खा और ठंडा पानी पीकर  
 
हम रुखी-सुखी खा और ठंडा पानी पीकर  
 
 
चल पड़ते हैं,  
 
चल पड़ते हैं,  
 
 
अनंत की राह पर  
 
अनंत की राह पर  
 
 
और धीरे-धीरे दृश्य में  
 
और धीरे-धीरे दृश्य में  
 
 
ओझल हो जाते हैं  
 
ओझल हो जाते हैं  
 
 
कि कोई देखे तो कह नहीं पायेगा  
 
कि कोई देखे तो कह नहीं पायेगा  
 
 
कि अभी कुछ देर पहले  
 
कि अभी कुछ देर पहले  
 
 
हम थे  
 
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हम अपने पूर्वजों की अस्थियों में रहते हैं-
 
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18:11, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

हम अपने पूर्वजों की अस्थियों में रहते हैं-

हम उठाते हैं एक शब्द
और किसी पिछली शताब्दी का वाक्य-विन्यास
विचलित होता है,
हम खोलते हैं द्वार
और आवाज़ गूँजती है एक प्राचीन घर में कहीं-

हम वनस्पतियों की अभेद्य छाँह में रहते हैं
कीड़ों की तरह

हम अपने बच्चों को
छोड़ जाते हैं पूर्वजों के पास
काम पर जाने के पहले

हम उठाते हैं टोकनियों पर
बोझ और समय
हम रुखी-सुखी खा और ठंडा पानी पीकर
चल पड़ते हैं,
अनंत की राह पर
और धीरे-धीरे दृश्य में
ओझल हो जाते हैं
कि कोई देखे तो कह नहीं पायेगा
कि अभी कुछ देर पहले
हम थे
 
हम अपने पूर्वजों की अस्थियों में रहते हैं-