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"औरत की ज़िन्दगी / रघुवीर सहाय" के अवतरणों में अंतर
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00:17, 8 मार्च 2010 का अवतरण
कई कोठरियाँ थीं कतार में
उनमें किसी में एक औरत ले जाई गई
थोड़ी देर बाद उसका रोना सुनाई दिया
उसी रोने से हमें जाननी थी एक पूरी कथा
उसके बचपन से जवानी तक की कथा