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07:43, 8 अक्टूबर 2008 का अवतरण
पहाड़ नहीं काँपता,
न पेड़, न तराई;
काँपती है ढाल पर के घर से
नीचे झील पर झरी
दिये की लौ की
नन्ही परछाईं।
बर्कले
नवम्बर १९६९