भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"काँपती है / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञेय }} पहाड़ नहीं काँपता, न पेड़, न तराई; काँप...)
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=अज्ञेय
 
|रचनाकार=अज्ञेय
 +
|संग्रह=सन्नाटे का छन्द / अज्ञेय
 
}}  
 
}}  
  

07:43, 8 अक्टूबर 2008 का अवतरण

पहाड़ नहीं काँपता,

न पेड़, न तराई;

काँपती है ढाल पर के घर से

नीचे झील पर झरी

दिये की लौ की

नन्ही परछाईं।


बर्कले

नवम्बर १९६९