भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"धूप / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञेय }} सूप-सूप भर धूप-कनक यह सूने नभ में गयी ब...)
 
पंक्ति 13: पंक्ति 13:
  
 
बीन रहा है
 
बीन रहा है
 
+
उसे अकेला एक कुरर।
+
उसे अकेला एक कुरर ।
  
  

06:42, 2 अक्टूबर 2008 का अवतरण

सूप-सूप भर

धूप-कनक

यह सूने नभ में गयी बिखर:

चौंधाया

बीन रहा है

उसे अकेला एक कुरर ।


अल्मोड़ा

५ जून १९५८