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"पत्थर -2 / सुधा गुप्ता" के अवतरणों में अंतर

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पत्थर में कविता रचाना---
  
 
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19:58, 24 अप्रैल 2021 के समय का अवतरण

तुम्हें जीना
और
महसूसना -प्रतिपल
कितना
सुखद है !
लेकिन
कितना मुश्किल
तुममें
कुछ
उगाना---

करती रही हूँ कोशिश
करूँगी आगे भी
जानते हुए
कि
असम्भव
है
पत्थर में कविता रचाना---