भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लैपटॉप की दुनिया/ रामकिशोर दाहिया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= रामकिशोर दाहिया }} {{KKCatNavgeet}} <poem>...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
{{KKCatNavgeet}}
 
{{KKCatNavgeet}}
 
<poem>               
 
<poem>               
 +
दो के दूने चार
 +
नहीं होने के भाई
 +
लिये पुराना
 +
व्यर्थ पहाड़ा
 +
रट्टा मारा करता है
 +
             
 +
पेनड्राइव की
 +
धरती पर हम
 +
लैपटॉप की
 +
दुनिया देखे
 +
मोबाइल को
 +
पीछे छोड़े
 +
कम्प्यूटर पर
 +
रखते लेखे
 +
             
 +
सबके चित की
 +
चोरी करता
 +
काश्मीर भी
 +
आफत झेले
 +
आँसे पीर
 +
हमारी फिर भी
 +
जीता-हारा करता है
 +
             
 +
डिजिटल भारत
 +
लगे बनाने
 +
गाँव वहीं पर
 +
खड़े हुए हैं
 +
लाचारी का
 +
खुला निमंत्रण
 +
देकर आगे बढ़े हुए हैं
  
 
+
रोके रुका समय
 +
कब किससे         
 +
थ्री फोर जी की
 +
दुनिया में
 +
पुरखों वाले
 +
आदिम युग के
 +
चित्र संवारा करता है   
 +
 
-रामकिशोर दाहिया
 
-रामकिशोर दाहिया
  
 
</poem>
 
</poem>

11:06, 1 जून 2021 के समय का अवतरण

              
दो के दूने चार
नहीं होने के भाई
लिये पुराना
व्यर्थ पहाड़ा
रट्टा मारा करता है
               
पेनड्राइव की
धरती पर हम
लैपटॉप की
दुनिया देखे
मोबाइल को
पीछे छोड़े
कम्प्यूटर पर
रखते लेखे
               
सबके चित की
चोरी करता
काश्मीर भी
आफत झेले
आँसे पीर
हमारी फिर भी
जीता-हारा करता है
               
डिजिटल भारत
लगे बनाने
गाँव वहीं पर
खड़े हुए हैं
लाचारी का
खुला निमंत्रण
देकर आगे बढ़े हुए हैं

रोके रुका समय
कब किससे
थ्री फोर जी की
दुनिया में
पुरखों वाले
आदिम युग के
चित्र संवारा करता है
 
-रामकिशोर दाहिया