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113
'''कान तरसते हैं सदा, सुनें तुम्हारे बोल।'''उर -तिजौरी बन्द किया, तू हीरा अनमोल।
114
अंधे देखें क्या भला, तेरा रूप अनूप।
मन सागर - विस्तार है, तन सौरभ की धूप।
115
'''साँस- साँस बन बाँसुरी, यही छेड़ती तान।'''
सारे सुख तुमको मिलें, सारे सब वरदान।
116
गिरि-शिखरों की ओट से, मुझको रहा निहार।
युगों-युगों से टेरता, वह तो मेरा प्यार।।प्यार।
117
मैं तो वन -वन घूमता, खोजूँ अपना मीत।
जब तक ये जीवन रहे, रखना अपने पास।
119
'''तेरे नैनों में रहूँ , बनकर गीली कोर।'''पलकें चूमूँ प्यार से, बनकर उजली भोर।।भोर।
120
ईश्वर जो मुझसे कहे, माँगो इक वरदान।
''जग में मेरी प्राण को, दे दो सुख सम्मान।।सम्मान।''
121
अहर्निश यही कामना , सुख का हो संगीत।
123
रंग रचे नित तूलिका, उर के सारे रंग।
जग छूटे सारा भले, बस तुम रहना संग।।संग।
124
मेरी झोली है खुली, देना सारे शूल।
प्रभु प्रिय के आँचल में, भरना केवल फूल।
125
जीवन है गहरी नदी,नहीं सूझता कूल।तुझमें ही है डूबना, तुम्हीं आनन्दतुम ही जीवन-मूल।
126
मनसा, वाचा , कर्मणा, अर्पित भाव - विचार।सफल हुआ जीवन सभी , पाकर तेरा प्यार।।
127
आँखों में तुम जागती, बनकर दर्शन -प्यास।
बची हुई है आज भी,पु नर्मिलन पुनर्मिलन की आस।
128
उड़कर पहुँचूँ द्वार पे, अकुलाता मन मीत।क्यों सदा बिछोड़ा ही मिले, जिनसे सच्ची प्रीत।
129
सन्नाटा गहरा हुआ, मन एकाकी,-मौन।
समय मिले तो सोचिए, तुझ बिन मेरा कौन।।
130
तुम्हीं प्रेम साकार हो, तुम्हीं तुम हो मन का नूर।
केवल इतनी प्रार्थना, संकट हों सब दूर।।
131
'''तुम मंदिर का दीप हो, प्राणों- बसी सुवास।'''
तन से कोसों दूर हो, फिर भी मन के पास।
132
'''प्राण कण्ठ में हैं लगे, दर्शन की है प्यास।'''
'''आन मिलो जैसे बने, यही बची है आस।'''-0- 
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